दोस्तों अगर हम कोई भी काम करते हैं। तो हमें ऊर्जा की बहुत ज्यादा जरूरत होती है। आप महसूस भी करते होंगे कि जब आप बीमार होते हैं, तो आपकी ऊर्जा बहुत ही कम हो जाती है। और आप चाह करके भी कोई काम नहीं कर पाते हैं, आप दिन रात बिस्तर पर ही लेटे रहते हैं। और आपका बिस्तर पर से उठने का मन ही नहीं करता, और अगर आपकी ऊर्जा कम है तो आप पढ़ाई भी करेंगे तो आपको बहुत ही जल्दी नींद भी आ जाएगी। आपका पढ़ने लिखने का मन बिल्कुल भी नहीं करेगा। और किसी भी कार्य में भी आपका मन नहीं लगेगा। आपको बहुत ही जल्दी थकावट लग जाएगी। इसलिए शरीर में ऊर्जा का होना बहुत ज्यादा जरूरी होता है।
जिस इंसान के शरीर में जितनी अच्छी ऊर्जा होती है वह उतना ही चुस्त दुरुस्त और फुर्तीला होता है। उसका शरीर उतना ही अच्छे तरीके से काम करता है। लेकिन जिस भी व्यक्ति के अंदर ऊर्जा की कमी रहती है, उसका मन बहुत ही निराश और हताश रहता है। वह चिंताओं में डूबा रहता है। उसका कोई भी काम करने का मन ही नहीं करता और उसे तमाम तरह की बीमारियां जकड़ लेती हैं। इसलिए शरीर में ऊर्जा का होना अति आवश्यक है। मित्रों आज के इस लेख में हम ऊर्जा बढ़ाने के तरीकों के बारे में आपको बताऊंगा जिसे जानने और समझ लेने के बाद आप खुद अपने अंदर की ऊर्जा को बढ़ा सकेंगे। और खुद आप तरोताजा महसूस करेंगे आपके शरीर के अंदर फुर्ती आ जाएगी।
प्राचीन समय में नर्मदा नदी के किनारे बसे एक आश्रम में रोज की तरह गुरु अपने शिष्यों को तर तरह की विद्या सिखाया करते थे। कुंडलिनी योग से लेकर के ध्यान करने तक वह सारी विद्याओं अपने शिष्यों को सिखाया करते थे। उन्हीं शिष्यों में एक निर्मल नाम का एक शिष्य था जिसका व्यवहार अन्य शिष्यों से बिल्कुल अलग था। उसके शरीर में ऊर्जा रहती ही नहीं थी। वह हर समय थका थका सा रहता था। एक बार की बात है गुरु रोज की तरह अपने शिष्यों को ज्ञान का उपदेश दे रहे थे। उपदेश के बीच में ही निर्मल को नींद आ गई और गुरु की नजर अचानक निर्मल पड़ गई। फिर गुरु को गुस्सा भी आया गुरु डांट कर बोलते हैं, कि निर्मल तुमने रात को ठीक से सोया नहीं था क्या जो तुम्हें अभी इसी वक्त नींद आ रही है। निर्मल घबरा गया और वह तुरंत नींद से जाग गया और फिर कहने लगा कि गुरुवर माफ कीजिएगा मैं रात को भी सोता हूं फिर भी पता नहीं क्यों मुझे हर समय नींद आती रहती है। ऐसा लगता है कि शरीर में जान ही नहीं है मैं बहुत जल्दी थक भी जाता हूं चाह कर के भी मैं कुछ कर नहीं पाता। गुरुवर में पढ़ाई में भी बिल्कुल मन नहीं लगता। मैं तरह-तरह के उपाय भी अपनाता हूं और फिर भी मैं सफल नहीं हो पाता। हर समय ऐसा लगता है कि हमारे शरीर की ऊर्जा को किसी ने छीन लिया है। गुरु कहते हैं कि निर्मल तुम बिल्कुल भी घबराओ नहीं आज तुम्हारे साथ-साथ मैं सभी शिष्यों को शरीर की ऊर्जा बढ़ाने के तरीके बता रहा हूं जिसे तुम सब ध्यानपूर्वक सुनना,
1. गुरु कहते हैं…
गुरु कहते हैं, कि शिष्यों सिर्फ अच्छा-अच्छा भोजन करने से शरीर में ऊर्जा नहीं बढ़ती शरीर में ऊर्जा बढ़ाने के कई सारे कारण होते हैं। गुरु कहते हैं कि आश्रम में जो अनाज की खेती होती है तो क्या वह सिर्फ उसमें पानी डालने से ही अच्छी फसलें तैयार हो जाती हैं। क्या सभी शिष्य कहते हैं कि नहीं गुरुवर उसमें तो खाद माटी के साथ-साथ तमाम चीजें डालनी पड़ती हैं तब जाकर के फसल अच्छी तैयार होती है गुरु कहते हैं कि अगर खेतों में पौधों को सिर्फ पानी ही डाला जाए तो क्या फसलों की पैदावार अच्छी होगी सभी शिष्य कहते हैं कि नहीं गुरुवर ऐसे में तो फसलें मुरझा जाएंगी गुरु कहते हैं, कि ठीक उसी प्रकार हमारे शरीर की भी हालत होती है। अगर हम सिर्फ खाना ही खाएंगे अच्छा अच्छा तो भी हमारे शरीर में ऊर्जा नहीं पैदा होगी अच्छी ऊर्जा पैदा करने के लिए कई सारे तरीके होते हैं। उनमें पहला तरीका है कम खाने की आदत डालो सवि शेष गुरु की इस बात को सुनकर के आश्चर्य चकित हो जाते हैं कि गुरुवर अगर हम लोग बहुत कम खाना खाएंगे तो फिर हमारे शरीर में ऊर्जा कहां से आएगी गुरु कहते हैं कि यही तो आज तक तुम सब समझ ही नहीं पाए लोग सोचते हैं कि ज्यादा खाना खाएंगे तो शरीर में ताकत बढ़ेगी ऐसा कुछ भी नहीं होता है आप खाना पर्याप्त मात्रा में लीजिए बल्कि मैं तो यह कहूंगा कि जितना आपको भूख है उससे थोड़ा कम ही खाइए इससे क्या होगा कि जो आपके शरीर की प्राण ऊर्जा है वह भोजन को जल्दी से पचा देगी और जो बाकी ऊर्जा बचेगी वह आपके शरीर की टूटी फूटी कोशिकाओं की मरमत करने में मदद करेगी।
इससे आपके शरीर की प्राण ऊर्जा को आपके शरीर की देखरेख करने के लिए बहुत समय मिल जाएगा और आप जब खाना पर्याप्त मात्रा में लेते हैं बहुत ज्यादा खाना नहीं खाते हैं तो आपका शरीर हल्का रहता है और जब आपका शरीर हल्का रहेगा खाना बहुत अच्छे तरीके से पच जाएगा तो बाकी लोगों की अपेक्षा आप बहुत हल्का और ऊर्जावान महसूस करेंगे। गुरु कहते हैं कि जो लोग ज्यादा खाना खाते हैं उनके शरीर की सारी ऊर्जा सिर्फ खाने को ही पचाने में लग जाती है। और कई घंटों तक तो उनका खाना पचता ही रहता है। और ठीक से उनका पाचन भी नहीं हो पाता। पेट उनका भारी-भारी सा रहता है लेकिन जो व्यक्ति कम खाते हैं उनका पाचन बहुत ही जल्दी हो जाता है और फिर बचे हुई प्राण ऊर्जा शरीर की टूटी फूटी कोशिकाओं की मरम्मत करती रहती है ऐसे लोग बहुत ही ऊर्जावान महसूस करते हैं। तुमने अजगर को तो देखा ही होगा अजगर खाना खाने के बाद कई घंटों तक या यूं कहे कि कई दिनों तक यूं ही स्वस्थ पड़ा रहता है। उसके शरीर की फुर्ती ही चली जाती है। ऐसे ही हम सबके साथ होता है अगर हम ज्यादा खाना खाएंगे तो हमारे शरीर की सारी की सारी प्राण ऊर्जा पूरे दिन रात सिर्फ उस खाने को पचाने में लगी रहेगी लेकिन अगर हम खाना पर्याप्त मात्रा में खाते हैं या जितना हमारी भूख है उससे कम खाते हैं तो हमारे शरीर की बची हुई प्राण ऊर्जा हमारे शरीर की टूटी फूटी कोशिकाओं की मरम्मत करने में लग जाती है। गुरु कहते हैं कि पहले तो तुम सब यह करो कि जितना तुम्हें भूख है उससे थोड़ा कम खाओ और आज से ही इस रहस्यमय तरीके को अपनाना शुरू कर दो इसका असर तुम्हें एक हफ्ते में दिखने लगेगा…
2. गुरु कहते हैं कि दूसरी बात…
जो तुम सबको याद रखनी है हमेशा ऊर्जावान बने रहने के लिए वह यह है कि पौष्टिक भोजन खाओ गुरु कहते हैं कि अधिकतर लोग तो सिर्फ पेट भरने के लिए खाना खाते हैं उन्हें लगता है कि उनका पेट बस भर जाए तो सब ठीक हो जाएगा तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं होता है। आपके शरीर को विभिन्न प्रकार के विटामिंस की जरूरत होती है। अगर आपके शरीर को पर्याप्त मात्रा में विटामिंस नहीं मिलेगा तो धीरे-धीरे आपका शरीर कमजोर पड़ने लगेगा मान लीजिए कि आपके शरीर में विटामिन A की कमी रहती है। तो आपको रतौ दी रोग हो सकता है अगर आप अपने खाने में कैल्शियम की मात्रा नहीं लेते हैं तो इससे आपकी हड्डियां कमजोर हो जाएंगी और उनमें दर्द भी हो सकता है। हड्डियों को मजबूत करने के लिए सबसे अच्छा तरीका है कि आप दूध का सेवन करें और आप थोड़ा समय धूप में जरूर बिताएं इससे क्या होगा कि विटामिन D धूप में त्वचा के नीचे पर्याप्त मात्रा में बन जाएगी सूर्य के प्रकाश में ही विटामिन D का निर्माण होता है। और उसका निर्माण आपकी त्वचा के नीचे होता है जो आपके शरीर की हड्डियों को मजबूत बनाने में अति आवश्यक होता है। इससे आपकी त्वचा की चमक भी बढ़ती है और आप तंदुरुस्त भी रहेंगे। गुरु कहते हैं कि खाने में अच्छा और पौष्टिक भोजन लो और जितना ज्यादा हो सके प्राकृतिक भोजन खाओ उससे तो तुम्हारा मन शांत रहेगा।
3. गुरु कहते हैं कि शिष्य हमेशा ऊर्जावान बने रहने का तीसरा तरीका है…
व्यायाम करने की और ध्यान करने की आदत डालो शिष्य कहने लगे गुरुवर यह तो हम प्रतिदिन करते हैं। इसमें कौन सी बड़ी बात है। यह तो सभी करते हैं तभी फिर गुरु कहते हैं कि हां बात तुम्हारी सही है लेकिन अगर व्यायाम को और ध्यान को एक निश्चित समय पर ना किया जाए जब मन में आया तब कर लिए तो ऐसे करने से कोई मत मतलब नहीं होता है बल्कि उसका शरीर पर बुरा असर तुम्हें देखने को मिलेगा इसलिए सबसे ज्यादा जरूरी यह है कि व्यायाम और ध्यान को एक निश्चित समय में करो गुरु कहते हैं कि प्रातः के समय व्यायाम शुरू करो फिर होगा क्या कि तुम्हारे शरीर की ऊर्जा बढ़ने लगेगी और तुम्हारे शरीर में फुर्ती भी आने लगेगी क्योंकि व्यायाम करने से शरीर के सभी अंग मजबूत होते हैं और उनके कार्य करने की क्षमता भी बढ़ती है तो इससे तुम दिन में काफी समय तक ऊर्जा से भरे रहोगे ऊर्जावान महसूस करोगे। जब धीरे-धीरे ऊर्जा घटने लगेगी तो फिर अगला दिन आ जाएगा तो तुम अगले दिन ठीक उसी समय पर व्यायाम करना तुम्हारा शरीर ऊर्जा से भरा रहेगा। लेकिन सबसे ज्यादा जरूरी यह है कि व्यायाम और ध्यान को एक निश्चित समय पर करना तभी इसका प्रभाव तुम्हें देखने को मिलेगा और प्रतिदिन तुम सुबह और रात को जब सोने जाओ तो ध्यान में लीन हो जाओ ध्यान की ताकत बहुत ही ज्यादा बड़ी होती है ध्यान से तुम खुद के मन और मस्तिष्क को काबू में कर सकते हो। ध्यान से तुम्हारे शरीर की प्रक्रिया अच्छे तरीके से चलेगी। ध्यान में बहुत ताकत होती है तुम सुबह और ध्यान की गहराइयों में जरूर जाना।
4. गुरु कहते हैं कि शिष्यों चौथा उपाय है…
अपने शरीर की ऊर्जा बढ़ाने का वह यह है कि तुम्हें चिंता को अपने वश में करना होगा गुरु कहते हैं कि शिष्यों अभी तुम सब बच्चे हो अभी तुम सबको उतनी फिक्र नहीं है लेकिन जब तुम धीरे-धीरे बड़े होने लगोगे तो तुम्हारे पर भी जिम्मेदारियों का बोझ आएगा तो तुम्हारे ऊपर तमाम कामों का बोझ रहेगा मैं यह नहीं कह रहा हूं कि तुम चिंता से हमेशा के लिए मुक्त हो सकते हो लेकिन हां अगर तुम समझकर चलो कि चिंता को कैसे रोका जाए। उसे कैसे अपने से दूर रखना है उसे खुद पर हावी नहीं होने देना है। तो तुम बहुत ही समझदार व्यक्ति कहलाओगे क्योंकि चिंता ही एक ऐसी बीमारी है जो तुम्हारे शरीर को हर वक्त जलाती रहती है जो व्यक्ति जितना गहराई से और जितना अंदर से चिंता करता है। वह बहुत ही ज्यादा परेशान रहता है। उसके शरीर की ऊर्जा को चिंता खुद छीन लेती है। और जिसके जीवन में चिंता ज्यादा है वह मानसिक रूप से भी बीमार रहता है। इसलिए तुम सबको चिंता पर काबू पाना होगा। चिंता करने से ना तो हमारा भविष्य बदलता है और ना ही हमारा भूतकाल। चिंता सिर्फ और सिर्फ हमारे शरीर को हमसे छीन ले जाती है। हमारे सुख चयन को हमसे छीन ले जाती है। इसलिए जिस चीज को लेकर तुम्हें चिंता हो रही है एक बार गौर से ध्यान में बैठ कर के उसे देखने की कोशिश करो कि क्या वाकई में वह बात चिंता करने लायक है कि या नहीं तब तुम पाओगे कि तुम 70 से 80 प्रतिशत तो चिंता बे फजूल की बातों को लेकर के सोच रहे हो जिनका कि वास्तव में कोई मतलब नहीं है। जिस भी बात को तुम जितना ज्यादा पकड़ कर रखोगे वह बात तुम्हें बहुत ही ज्यादा सताएगी। इसलिए जो हो रहा है उसे होने दो क्योंकि अगर तुम्हारा शरीर स्वस्थ रहेगा तुम ऊर्जावान बने रहोगे तो तु चिंता से भी निपट लोगे। इसीलिए शिष्यों अगर तुम्हें ऊर्जावान बने रहना है तो चिंता को अपने काबू में करना होगा और इसके लिए आप प्रतिदिन ध्यान और व्यायाम की क्रिया जरूर शुरू करो…
5. गुरु कहते हैं कि हमेशा ऊर्जावान बने रहने का पांचवा नियम है…
समय की गति के अनुसार चलो शिष्य कहते हैं कि गुरुवर यह बात कुछ ज्यादा समझ में नहीं आ रही है, कि समय की गति के अनुसार क्या होता है। गुरु कहते हैं कि जब सुबह होती है तो चिड़िया चहचहाने लगती हैं। पौधों के फूल खिल जाते हैं। पत्तियां हरी भरी हो जाती हैं। वह भी सूर्य के प्रकाश में अपने भोजन का निर्माण करने लगती है। कलियां भी खिलने लगती हैं। और चारों तरफ पेड़ पौधे ऊर्जा से भर जाते हैं। इसी प्रकार तुम्हारा शरीर भी। अगर सूर्य निकलने से पहले तुम नहीं उठते हो बिस्तर से तो तुम्हारे शरीर की ऊर्जा कम होने लगती है। प्रकृति के साथ खुद को तालमेल बनाकर चलो जब सूर्य उगता है उससे पहले तुम सब अपने बिस्तर से उठ जाओ और जब सूर्य अस्त होने लगता है तो उस समय भी तुम सब सोने चले जाओ अगर तुम सब सही काम को सही समय पर करते हो तो तुम्हारा शरीर हमेशा ऊर्जावान बना रहेगा जो व्यक्ति आलसी होता है। सूर्य निकलने के बाद उठता है और रात भर जागता रहता है। दिन में सोता रहता है तो उसके शरीर की ऊर्जा छेड़ होने लगती है क्योंकि अगर तुम प्रकृत के साथ खुद को तालमेल बैठाकर नहीं चलोगे तो तुम्हारे शरीर की ऊर्जा होने लगेगी इसलिए अपने सभी कार्यों को समय के अनुसार करो जब तुम समय के अनुसार कार्य को करोगे तो तुम्हारा शरीर भी स्वस्थ रहेगा और तुम्हें कार्य करने की चिंता भी नहीं रहेगी क्योंकि तुमने अपने कार्य को सही समय पर कर लिया कुछ लोगों को नींद रात में इसलिए नहीं आती है क्योंकि एक तो चिंता उन्हें बहुत सताती रहती है, और दूसरी बात यह है कि वह समय के अनुसार चलते भी नहीं इसलिए अगर तुम्हें लंबी जिंदगी जीना है तो अपने कार्यों को समय के अनुसार करो।
6. गुरु कहते हैं कि हमेशा ऊर्जावान बने रहने का छठा नियम है…
खुद पर ध्यान दो। गुरु कहते हैं कि यह बहुत ही शक्तिशाली नियम है। खुद पर ध्यान देने का मतलब यह है कि तुम सब खुद से खुद को प्यार करो खुद के लिए अच्छा सोचो कई बार होता है कि कुछ लोग दूसरों की जिंदगी से बहुत ही ज्यादा निराश रहते हैं। अगर कोई दूसरा विकास कर रहा है तो उससे बहुत ही ज्यादा परेशान रहते हैं। उससे उनके अंदर जलन की भावना उत्पन्न होने लगती है और जो व्यक्ति दूसरों के के विकास से दुखी रहता है। तो उसके अंदर जलन की भावना पैदा हो जाती है तो धीरे-धीरे उसका शरीर ऊर्जा से छीट होने लगता है। इसलिए दूसरों पर ध्यान देने की बजाय खुद पर ध्यान दो। खुद को बेहतर बनाने में लग जाओ। जब तुम पूरी ऊर्जा के साथ खुद को बेहतर बनाने में लगोगे तो तुम्हारे कार्य जरूर सफल होंगे। वह व्यक्ति अपने जीवन में कभी भी सफल नहीं हो पाता जो हर समय दूसरों के बारे में सोचता रहता है। दूसरों की बुराई के बारे में सोचता रहता है। दूस से जलन की भावना रखता है। उस व्यक्ति की ऊर्जा कभी भी अच्छी नहीं रहती। लेकिन वहीं पर जो व्यक्ति अपने बारे में अच्छा सोचता है और दूसरों के भी बारे में अच्छा सोचता है तो उसकी ऊर्जा हमेशा बनी रहती है। इसीलिए अपनी ऊर्जा को अगर बढ़ाना है तो खुद के बारे में अच्छा सोचो और खुद से बहुत प्यार करो जब कोई इंसान किसी दूसरे व्यक्ति से जलता रहता है तो उसके हार्मोस नकारात्मक होने लगते हैं और अच्छे हार्मोस कभी भी उसके शरीर से स्रावित ही नहीं हो पाते जिससे उसकी ऊर्जा कम होने लगती है। लेकिन वहीं पर जो व्यक्ति अच्छा सोचता है पॉजिटिव रहता है तो उसके शरीर के सभी हार्मोन सकारात्मक तरीके से निकलते रहते हैं। जिससे उसके शरीर में ऊर्जा बनी रहती है।
7. गुरु कहते हैं कि हमेशा ऊर्जावान बने रहने का सातवां नियम है…
सकारात्मक रहे। कैसी भी सिचुएशन तुम्हारी जिंदगी में आ जाए तुम्हें हमेशा सकारात्मक बने रहना होगा। जो व्यक्ति जितना ज्यादा सकारात्मक होता है उसकी सोच उतनी ही ज्यादा सकारात्मक होती है। वह उतना ही अच्छे तरीके से परेशानियों से निपट सकता है। लेकिन जिसके दिमाग में हमेशा नकारात्मक बातें ही भरी रहती हैं। वह नकारात्मक बातें ही सोचता रहता है। तो उसकी ऊर्जा लगातार नीचे की तरफ बहती रहती है जिससे उसके शरीर की ऊर्जा धीरे-धीरे छीर होने लगती है। लेकिन जिस भी व्यक्ति के अंदर सकारात्मक भावनाएं पैदा होती हैं।सकारात्मक बातें वह सोचता है तो उसके अंदर की ऊर्जा ऊप की तरफ बहती है और जब ऊर्जा ऊपर की तरफ बहती है। तो वह किसी भी कार्य पर किसी भी तत्व पर बहुत ही अच्छे तरीके से सोच पाता है। और जब वह किसी कार्य को करता है तो उसमें वह सफल जरूर होता है। इसीलिए शिष्यों हमेशा सकारात्मक बने रहना बहुत ज्यादा जरूरी होता है। जरूरी नहीं कि हर पल आप सकारात्मक ही रहे लेकिन अगर आपकी सोच सकारात्मक है तो आप तमाम तरह की मुश्किलों से पार पा सकते हैं। मुश्किलों को अपनी जिंदगी से हरा सकते इसीलिए सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ने का प्रयास जरूर करो।
गुरु कहते हैं कि शिष्यों यह सात नियम अगर तुम सब अपना लेते हो तो तुम्हारे शरीर की ऊर्जा कभी भी कम नहीं होगी। हमेशा तुम ऊर्जावान बने रहोगे और निर्मल तुम तो मेरी यह सात बातें आज से ही अपनाना शुरू करो। और अभी से ताकि तुम्हारे शरीर की ऊर्जा ऊपर की तरफ बहे और तुम सकारात्मक सोच सको। जब तुम्हारे शरीर की ऊर्जा ऊपर की तरफ बहेगी तो तुम्हें नींद भी समय पर आएगी। हर पल तुम्हें नींद नहीं आएगी। और तुम्हारा शरीर ऊर्जा से भरा रहेगा। गुरु यह सात नियम बता कर के शांत हो जाते हैं। तभी सभी शिष्य खड़े होते हैं और गुरु को प्रणाम करते हैं और उनका धन्यवाद अदा करते हैं। और सब लोग अपने अपने कार्यों पर वापस लग जाते हैं।
तो दोस्तों उम्मीद है इस लेख से आपको काफी कुछ सीखने को मिला होगा। और अगर कुछ सीखने को मिला हो तो हमारे इस लेख शेयर जरूर करे।
धन्यवाद…
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